धुएं में उरादे यादें सारी।

यादों के बीच कि, ये इमारतें है सारी।
कभी नई, तो कभी पुराने की बारी।
कहता है दोस्त मेरा !
कब तक सजाएगा ये यादें बारी-बारी,
जला एक सिगरेट और धुएं में उरादे सारी।
अब लिबास पहन ले अपने तरफ़ का,
बाकी सब छोड़ आ 
सोच के, कि की थी बेगारी।।

( बेगारी - जबर्दस्ती करवाया जाने वाला काम )

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