जाम मेरी !!

कहर जुबान पे, महज ही मुझे बताती है।
कैसे बताऊं,
कैसे सुबह सुबह वो मुझे रुलाती है।
जाम ही तो है, जो मेरा साथ निभाती है।
एक वोही  है, जो रातों में मुझे सुलाती हैं।।

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