मैं नहीं जानता !!
इंसान हूं कि हैवान हूं,
मैं नहीं जानता।
जिस्म की तलब मुझे भी हो रही है,
मैं नहीं जानता।
ये बात है अच्छी या बुरी,
मैं नहीं जानता ।
रातों को सोचता हूं, ख्याल वेहसियाना !
इंसान हूं कि हैवान हूं,
मैं नहीं जानता।
कैसे बताऊं कैसे जताऊं,
मैं नहीं जानता।
करता हूं, जो शायद नहीं करना चाहिए!
और फिर पचताना।
इंसान हूं कि हैवान हूं,
मैं नहीं जानता ।।
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