इंतजाम पूरी !!

"धुओं में है ये शाम उड़ी।
बेरुखी है, हां ये है जाम पूरी।
अक्सर सलामती मांगते है, हमारे लोग अपने
मगर क्या है की,
मारने की कर रखी है इन्होंने इंतजाम पूरी।।"

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