उम्मीद भी गया।

"एक और शाम यूंही गया।
तकते तकते, 
ये रास्ता भी गुज़रा गया।
क्या करूं,किसकी उम्मीद करू,
अब इस जिंदगी में, 
कोई इज़ाफ़ा होगा ?
ये उम्मीद भी गया।।"

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